होली के रंग

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जब उसको रंग लगाते होंगे
रंग ख़ुद भी इतराते होंगे

होंठों पर रंग चढ़ाना है
वो गालों को भी छुपाते होंगे

जब नाम हमारा आता होगा
वो थोड़े तो शर्माते होंगे

जो होली के दिन भी मिले नहीं
जाने कैसे वक़्त चुराते होंगे

क्या मैं ही सब कुछ गाता हूँ
वो किसी को कुछ तो बताते होंगे

पाँच साल का इश्क़ मेरा
और `जौन` साहब का एक शेर कहा
मैं अब तक अक्सर सोचा करता हूँ
जाने कैसे लोग वो होंगे
जो उसको भाते होंगे!

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